Friday, October 29, 2010

वो ना जलके के भी नहीं बची..



उसके चले जाने के बाद ये सिगरेट ही थी कि जिसने लबो को छुआ था मेरे... जैसे ही सुलगाया इसे कि एक हरारत सी हुई पुरे बदन में.. ये कुछ ऐसा था जैसे किसी ने मेरे कपडे फाड़कर मुझे बर्फ पर लिटा दिया हो.. एक अजीब सी ठंडक.. एक जवां सुकून और लम्बी ख़ामोशी.. इसके गोरे बदन पर जैसे ही चिंगारी सुलगती इसकी आंच एक गज़ब सी तपिश देती.. पहला कश लेते ही कुछ ऐसा एहसास होता कि जैसे मैं समुन्दर में बहुत नीचे तक चला गया हूँ.. और गहरे पानी में झिलमिल मछलिया मेरे बदन को गुदगुदा रही है.. 

मैं अन्दर तक इसका धुँआ खींच लेना चाहता था.. ये धुँआ एक प्रेमिका की तरह स्लोली स्लोली अन्दर तक उतरता जाता.. मुझे ऐसा लगता जैसे दुनिया सिकुड़ गयी है.. बहुत छोटी सी हो गयी है.. और इस धुंए के साथ वो भी उड़ जायेगी.. फिर में अपनी ज़िन्दगी को भी उसी धुंए के साथ उड़ाकर आँखे मूँद लेता था.. ये कुछ ऐसा था जैसे माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी पर उल्टा लटका हुआ मैं देखता जा रहा हूँ दुनिया को बदलते हुए.. 

मुझे प्यार ही तो था उससे.. उसे देखते ही मैं होश खो बैठता था.. उसे पा लेने का जूनून था.. उसे किसी भी कीमत पर हासिल करने की तमन्ना.. उसे अपनी आगोश में लेकर जलाना और फिर जलते हुए देखना.. और तब तक देखना कि जब तक वो राख बनके बिखर ना जाये.. मैं उसे हवा बनते हुए देखता रहा.. वो नहीं रही.. वो जब तक थी.. मैं, मैं था अब ना वो रही ना मैं.. 

सिगरेट मगर अच्छी थी बिखर के भी मेरी उंगलियों में बची रही.. वो ना जलके के भी नहीं बची..    

1 comment:

  1. मुझे प्यार ही तो था उससे.. उसे देखते ही मैं होश खो बैठता था.. उसे पा लेने का जूनून था.. उसे किसी भी कीमत पर हासिल करने की तमन्ना.. उसे अपनी आगोश में लेकर जलाना और फिर जलते हुए देखना.. और तब तक देखना कि जब तक वो राख बनके बिखर ना जाये.. मैं उसे हवा बनते हुए देखता रहा.. वो नहीं रही.. वो जब तक थी.. मैं, मैं था अब ना वो रही ना मैं..


    don't know You smoke or not... bt it's wonderful.

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